क्या भरोसा मैं ही मैं न रहूँ शायद

गुजरता हुआ ये हर लम्हा तो , फिर कभी भी लौट कर न आएगा , तू लौट भी आये अगर क्या भरोसा है फिर, मैं ही मैं न रहूँ शायद !! – रंजन कुमार
गुजरता हुआ ये हर लम्हा तो , फिर कभी भी लौट कर न आएगा , तू लौट भी आये अगर क्या भरोसा है फिर, मैं ही मैं न रहूँ शायद !! – रंजन कुमार
चलो तुम आंधियाँ.. खरीद ले जाओ सब खिलाफ मेरे , मुझे तो बस डर ये है .. चिराग मेरा , रखा ना हो कहीं बारिशों की हीं हिफाजत में ! – Vvk