आँधियाँ बुझा गयीं, चराग जो ..

आँधियाँ बुझा गयीं , चराग जो .. अफसोस उनपे भी करके अब हासिल क्या ? कि चलो अब साहिल के , खौफ से .. डूबती किश्तियों को बचाते हैं !! – Vvk
आँधियाँ बुझा गयीं , चराग जो .. अफसोस उनपे भी करके अब हासिल क्या ? कि चलो अब साहिल के , खौफ से .. डूबती किश्तियों को बचाते हैं !! – Vvk
अस्तित्व नहीं कुछ भी , बहारों का, नजारों का , इन फूलों पत्थरों और पहाड़ों का ! अगर तुम नहीं शामिल, इन बहारों में , नजारों में, और इस जिन्दगी के, किनारों में !! – रंजन कुमार