Hindi Poetry: उधेड़बुन जारी है

मेरे प्रकाशित काव्य संकलन अनुगूँज संकलित प्रतिनिधि कविताएँ से संकलित ” उधेड़बुन जारी है ” – चश्मे के अंदर से घूरती उसकी दो दो आँखे, अपलक लगातार ..! मैं असहज होता हूँ अंदर मन मे, नाराज होता हूँ पर वह …
मेरे प्रकाशित काव्य संकलन अनुगूँज संकलित प्रतिनिधि कविताएँ से संकलित ” उधेड़बुन जारी है ” – चश्मे के अंदर से घूरती उसकी दो दो आँखे, अपलक लगातार ..! मैं असहज होता हूँ अंदर मन मे, नाराज होता हूँ पर वह …
वह फिर चला गया फेंक कर सारा दिन उजाला अपना , मेरे खुद के अंधेरों ने उसे फिर से नजरअंदाज किया ! कुछ तो कह रहा था वह मुझे डूबते वक़्त भी धीमे धीमे , मेरे गुमान के शोर में…