Category Poetry

सजा देना चाहता हूँ अंजन सा तुम्हारी आँखों में !

Harshringaar flowers

हरसिंगार के फूलों के जैसे बिखरे मिले बहुत से महमहाते पुराने ख्वाब मुझे ..जो तुम्हारी आँखों से टपके थे बूंद बूंद वर्षों में ..! मैंने उन्हें एक एक कर चुना अपनी पलकों से .. और फिर सजा देना चाहता हूँ अंजन सा तुम्हारी…

Hindi Poetry : सब नाकामिओं का मूल

Anugunj book by Ranjan Kumar

वक़्त के ऊपर मत फोड़ो, अपनी नाकामिओं के  ये पुलिन्दे सब ! वक़्त पर निर्णय न लेने की  अकर्मण्यता , सब नाकामिओं का मूल है !! – रंजन कुमार