Hindi Poetry – एक पंक्चर ट्यूब

जब भी मिलते हैं सहज नहीं रहते वो .. फूलने लगते हैं गुब्बारे की तरह ..! और फिर मैं फिर मिलूँगा कह चल पड़ता हूँ वो पिचकने लगते हैं पंक्चर ट्यूब की तरह …! अहम ऊनका अब होश में आता…
जब भी मिलते हैं सहज नहीं रहते वो .. फूलने लगते हैं गुब्बारे की तरह ..! और फिर मैं फिर मिलूँगा कह चल पड़ता हूँ वो पिचकने लगते हैं पंक्चर ट्यूब की तरह …! अहम ऊनका अब होश में आता…
लरजती होठों की जुबानी आज सब कहानी कह दो , तैरता दरिया है जो आँखों में उस मस्ती की रवानी कह दो ! खामोशियाँ बिखरी हैं अभी उन्हें पलकों से चुनचुन कर , कैसे सम्भाली थी इश्क की वह दरिया…