Hindi Love poem : प्रेम-उपहार प्रियतम – Ranjan kumar

इन कुहासों में लिपटी , सुबह को देखो तो जरा .. मौसम बड़ा खुशनुमा है, पलकें तो खोलो .. कुछ कुहासे की बूंदें लाया हूँ मैं .. तुम्हारे लिए , ठंढे थे .. पर मेरे प्रेम ने गर्म कर दिया…
इन कुहासों में लिपटी , सुबह को देखो तो जरा .. मौसम बड़ा खुशनुमा है, पलकें तो खोलो .. कुछ कुहासे की बूंदें लाया हूँ मैं .. तुम्हारे लिए , ठंढे थे .. पर मेरे प्रेम ने गर्म कर दिया…
चाहते हो बाँट लेना सब गम मेरे तुम , पर किस तरह उपहार में आंसू तुम्हे दूँ ? संकोच में है मन मेरा दुविधा बड़ी है .. प्रेम का उपहार पहला पहला प्रिय अश्क कैसे दूँ तुम्हें ? – रंजन…