Hindi Poetry : ख़ुशी औ गम में जहां महसूस न हो फ़र्क !

ख़ुशी-औ-ग़म में जहां, महसूस न हो फर्क, वो जिंदगी है की, कुछ और है साक़ी??.. की हमसफ़र से..साथ की चाहत, उस हमनवा से फासला भी बेहद, क्यों कुछ उम्मीद भी इतनी.. ना-उम्मीद है साक़ी? की तेरे लौट आने की मिन्नतें,…