Hindi Poetry : उस काले गुलाब के फूल से !

सुबह, रोशनी की पहली किरण जब पड़ीं बालकनी में रखे उस काले गुलाब के फूल से लिपटीं उन ओस की बूंदों पर, . थोड़ी शर्मा सी गयी हो जैसे , वो एक ओस की बूँद आलिंगन में वादों के शायद..…
सुबह, रोशनी की पहली किरण जब पड़ीं बालकनी में रखे उस काले गुलाब के फूल से लिपटीं उन ओस की बूंदों पर, . थोड़ी शर्मा सी गयी हो जैसे , वो एक ओस की बूँद आलिंगन में वादों के शायद..…
मत पूछना कभी किसी शाख पर, ठहरे ओस की बूंद से दर्द का मंजर, आखिर कैसा लगता होगा यूँ मुद्दतों आसमां की पलकों पर रहना.. और फिर एक दिन बस, यूँ ही अचानक इतनी ऊंचाई से गिरना..! – Vvk