Hindi poetry : पथरा गयीं आँखे इस पथ को तकते तकते – Ranjan Kumar
पथरा गयीं आँखे इस पथ को तकते तकते , तुम फिर नहीं आए कभी यहाँ बरसों से ! तेरे वादों की पोटली थी जो मेरी धरोहर है , गुम हुयी है यहीं कहीं तलाश में अब तक…
पथरा गयीं आँखे इस पथ को तकते तकते , तुम फिर नहीं आए कभी यहाँ बरसों से ! तेरे वादों की पोटली थी जो मेरी धरोहर है , गुम हुयी है यहीं कहीं तलाश में अब तक…
मृत्यु है उत्सव मनाओ ठाट से, ग़मगीन होने की जरुरत है कहाँ ? बस एक बार आता है यह त्योहार सा, मौका नहीं देता है फिर एक साँस का ! जिन्दगी में जिन्दगी को जान लो..! फिर समझ आएगा ये…