Category Poetry

Hindi Poetry : ठंढ से ठिठुरते गोरैये याद आते हैं – Ranjan Kumar

goraiya

जब दरख्तों पर कभी खडखडाहट होती है , फिर क्यों ठंढ से ठिठुरते गोरैये याद आते हैं .. याद आती हैं वो झुग्गियाँ भी , और फिर . अनगिनत बेबस आँखे सहमे सहमे से क्यों …? बमुश्किल ही मनुष्य कहे…

Hindi Poetry Love Poem : ये प्यार मोहब्बत धोखा है, इस धोखे से मैं डरता हूँ – Ranjan Kumar

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ये प्यार मोहब्बत धोखा है, इस धोखे से मैं डरता हूँ !   सच कहूँ , इसी उलझन के कारण  दूर ही अक्सर रहता हूँ !!   नहीं चाहता बनना टिशु पेपर  उपयोग करो और निपटा दो !   कुछ…