Hindi love poetry : लो अब बहुत दूर हूँ तुमसे – Ranjan Kumar

लो अब बहुत दूर हूँ तुमसे, मुकम्मल सफ़र भी हुआ चाहता है , वक़्त का काफिला जो चला साथ दूर कबका हुआ ! यादों की झुरमुटों के बीच कभी तेरी स्मृतियाँ , कौंध जाती हैं रह रह कर…
लो अब बहुत दूर हूँ तुमसे, मुकम्मल सफ़र भी हुआ चाहता है , वक़्त का काफिला जो चला साथ दूर कबका हुआ ! यादों की झुरमुटों के बीच कभी तेरी स्मृतियाँ , कौंध जाती हैं रह रह कर…
मुझे लिहाज है मै मौन हूँ , और लोग हैं गुमान में ! नासमझ और मूर्ख जान सब लूट रहे हैं मुझे , मै लुट रहा हूँ जानकर रिश्तों की मर्यादा रहे ! सोचता हूँ कब तक ये निभ पायेगा…