Hindi poetry : यादों की जलती लालटेने बुझा दें अब – Ranjan Kumar

चांद उफक में डूब चुका है, आ जाओ यादों की जलती लालटेंने बुझा दे हम ! रातरानी का शुक्रिया कर सो जायें , यादों को सुबह तक , महमहाती रखेंगी ये … नींद को सिरहाने बुलाते हैं अब , यादों की…
चांद उफक में डूब चुका है, आ जाओ यादों की जलती लालटेंने बुझा दे हम ! रातरानी का शुक्रिया कर सो जायें , यादों को सुबह तक , महमहाती रखेंगी ये … नींद को सिरहाने बुलाते हैं अब , यादों की…
एक तो गुनाहों की उनके फेहरिस्त पहले ही बहुत लम्बी है , हर रोज जान बूझकर नए गुनाह वह अब भी किये जाते हैं ! इल्म नहीं यह क्यों आखिर जिस दिन क़यामत बरपेगी कौन उन्हें बचाएगा ? घड़ा पापों…