Spiritual love poetry : फिर मिलेंगे सफर में कहीं अनंत के – Ranjan Kumar

दुनिया के थपेडों से घायल हो ज़िस्म फिर भी, रूह की पाकीजगी को यूँ नूर से रौशन रखना ! रूह से जुड़े हों रूह के जो वो रिश्ते नहीं मरा करते , फिर मिलेंगे .. सफर में कहीं, अनंत के , चलते…