Category Poetry

Hindi poetry: वो कौए कौए भी न रहे

कुछ कौए  हंस बनना चाहते थे , पर रंग कर अपने सफेद  .. वक़्त की बारिश में  धुल गए रँगे पंख , हंस तो बन न सके.. अब तो हालत ये कि  वो कौए कौए भी न रहे !! –…

Hindi poetry : रक्त चूषक – Ranjan Kumar

rakt chusak

रक्त चूषक अक्सर  लिजलिजे होते हैं , सर्व सुलभ  और सर्व ब्यापक भी ! यथा जोंक ,चमोकन , खटमल , मच्छर , और कुछ इंसान भी …! इनके आस पास होने का एहसास ही अजीब लिजलिजेपन से भर देता है…