Hindi poetry: वो कौए कौए भी न रहे

कुछ कौए हंस बनना चाहते थे , पर रंग कर अपने सफेद .. वक़्त की बारिश में धुल गए रँगे पंख , हंस तो बन न सके.. अब तो हालत ये कि वो कौए कौए भी न रहे !! –…
कुछ कौए हंस बनना चाहते थे , पर रंग कर अपने सफेद .. वक़्त की बारिश में धुल गए रँगे पंख , हंस तो बन न सके.. अब तो हालत ये कि वो कौए कौए भी न रहे !! –…
रक्त चूषक अक्सर लिजलिजे होते हैं , सर्व सुलभ और सर्व ब्यापक भी ! यथा जोंक ,चमोकन , खटमल , मच्छर , और कुछ इंसान भी …! इनके आस पास होने का एहसास ही अजीब लिजलिजेपन से भर देता है…