लघुकथा : इधर से कोई गधा तो नही गुजरा – Ranjan Kumar

लघुकथा.. इधर से कोई गधा तो नही गुजरा इधर से कोई गधा तो नही गुजरा है अभी …? वह तो सच मे अपने गधे को ढूंढ रहा था,पर लोग थे की नाहक ही बुरा मान गए,लात घूंसे बरस गये यूँ…
लघुकथा.. इधर से कोई गधा तो नही गुजरा इधर से कोई गधा तो नही गुजरा है अभी …? वह तो सच मे अपने गधे को ढूंढ रहा था,पर लोग थे की नाहक ही बुरा मान गए,लात घूंसे बरस गये यूँ…
उजाला बाँटता सूरज अँधेरे में भी डूब सकता है यूँ ही , अचानक , हैरान मत होना ! ये दौर ऐसा है की सिर्फ अंधेरों की ही पहचान यहाँ पुख्ता है, और हर प्रकाश की मीनारें शक के दायरे में…