Category Poetry

लघुकथा : इधर से कोई गधा तो नही गुजरा – Ranjan Kumar

लघुकथा.. इधर से कोई गधा तो नही गुजरा इधर से कोई गधा तो नही गुजरा है अभी …?  वह तो सच मे अपने गधे को ढूंढ रहा था,पर लोग थे की नाहक ही बुरा मान गए,लात घूंसे बरस गये यूँ…

Hindi poetry : सिर्फ अंधेरों की ही पहचान यहाँ पुख्ता है – Ranjan Kumar

उजाला बाँटता सूरज  अँधेरे में भी  डूब सकता है यूँ ही , अचानक , हैरान मत होना ! ये दौर ऐसा है की सिर्फ अंधेरों की ही पहचान यहाँ पुख्ता है, और हर प्रकाश की मीनारें शक के दायरे में…