Category Poetry

Love poem : वह चाँद आसमान का,महज एक टुकड़ा भर है तेरा हमदम – Ranjan Kumar

सुनो जानम, मैने तुम्हें मोहब्बत में  कभी चाँद का  टुकड़ा नहीं कहा.. क्योंकि  आसमान का वह चाँद  बेनूर है,बे नजाकत है  मगरूर है..! वह तो बेवजह ही  सिर्फ  दिलजलों के कारण  धरती पर मशहूर है..! तेरी आँखों की  सब मस्त…

Hindi poetry on present era of politics : तुम किधर हो इस लड़ाई में – Ranjan Kumar

राजनीति का विद्रूप चेहरा ,और आकंठ भ्रष्टाचार में डूबीव्यवस्था … कर रही है आह्वाहन , सुनो यह झूठा आर्तनाद , बेईमान गद्दारों द्वारा इमानदारी का , अगर बहरे नहीं हो ..! समवेद गायन भी सुनो एक दूसरे के घुर विरोधिओं का , ये…