Hindi sad poetry : बेगुनाही ही मेरा कसूर हुआ – Ranjan Kumar

उसे रोने का हुनर आता था तो गुनाह कर के भी वो बेकसूर रहा ,. मुझमे खामोशियाँ गुनगुनाती थी तो बेगुनाही ही मेरा कसूर हुआ !! – रंजन कुमार
उसे रोने का हुनर आता था तो गुनाह कर के भी वो बेकसूर रहा ,. मुझमे खामोशियाँ गुनगुनाती थी तो बेगुनाही ही मेरा कसूर हुआ !! – रंजन कुमार
यादों को सिरहाने रख देता हूँ , ले जाना जब फुरसत पाओ ! क्या पता मै खोया हूँ ख्वाबों में, मुझसे मिलने जब तुम आओ !! मुझको सोते से नहीं जगाना , मै वक़्त की लोरी सुन सोया हूँ !…