Category Poetry

भीष्म की दृष्टि पा लेना फिर पहचान नहीं मुश्किल है कौन शिखंडी

बाधाओ से लड़ना ही इतिहास है मेरा सूरज से गलबहियां करते बड़ा हुआ हूँ, दीपक की थर्राती लौ तुम मुझे न समझो जल जाओगे तपिश है इतनी मेरे अन्दर ! तपिश सूर्य की और चन्द्रमा की शीतलता दोनों ही हैं…