धृतराष्ट्र और गांधारी की संतानें और आइना

Thought provoking Hindi poem by Ranjan Kumar on Dhritrashtra blindness & Gandhari,'s self imposed blind fold
बाधाओ से लड़ना ही इतिहास है मेरा सूरज से गलबहियां करते बड़ा हुआ हूँ, दीपक की थर्राती लौ तुम मुझे न समझो जल जाओगे तपिश है इतनी मेरे अन्दर ! तपिश सूर्य की और चन्द्रमा की शीतलता दोनों ही हैं…