Love poem : उसके प्यार का वह फ़साना मैं आजतक कहाँ भूला – Ranjan Kumar

अब उसे कुछ भी तो जब याद नहीं वो बिसरी बातें , सोचता हूँ क्या और क्योंकर याद भी दिलाऊं मैं ! चाँद के पहरे में पहरों सितारों से करना मेरी बातें , लिखकर मेरा नाम अपनी हथेली पर मुझको…
अब उसे कुछ भी तो जब याद नहीं वो बिसरी बातें , सोचता हूँ क्या और क्योंकर याद भी दिलाऊं मैं ! चाँद के पहरे में पहरों सितारों से करना मेरी बातें , लिखकर मेरा नाम अपनी हथेली पर मुझको…
है फेहरिस्त बड़ी लम्बी शिकवों का पुलिन्दा है , . क्या कोई भी बता देगा, इस सफ़र का पैमाना ? – रंजन कुमार