Category Poetry

कर्ण और एकलव्य की कीमत पर बनता है अर्जुन महारथी

old man alone walking

  महान धनुर्धर अर्जुन जब कुरुक्षेत्र के मैदान में, गांडीव हाथ में लिए .. अपनी श्रेष्ठता पर  कभी इठलाता रहा होगा, उसकी नजरों के सामने  एकलव्य का  कटा अँगूठा, उसकी सफलताओं को  अंगूठा दिखाते हुए .. उसकी खुशिओं पर  मुस्कुराता…

वो हमीं से पूछते हैं , मोहब्बत कितनी करता हूँ उनसे ?

couple sitting together

वो हमीं से पूछते हैं , मोहब्बत कितनी करता हूँ उनसे ? पूछ लो अपने ही दिल से , ए – नादान सनम ..  जितनी मोहब्बत की  मेरी गवाही दे दे दिल तेरा ..  बस उतनी ही .. मोहब्बत है…